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Beta Kiska | Vijaydan Detha | बेटा किसका ? | विजयदान देथा | Rajasthan | Hindi Story | Audio Story

Beta Kiska | Vijaydan Detha | बेटा किसका ? | विजयदान देथा | Rajasthan | Hindi Story | Audio Story

Update: 2024-08-09
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Description

Vijaydan Detha, popularly knowne as “Bijji”, spent several decades collecting folk stories from in and around his village Borunda in rajasthan. In their retelling his stories straddled myths and legends, reality and fantasy, observation and a commentary on the world of his beloved Rajasthan. 


 His work received national and international acclaim – he was awarded the Padma Shri, the Rajasthan Ratna Award and the Sahitya Akademi Award among various others. 


विजयदान देथा, जिन्हें "बिज्जी" के नाम से जाना जाता है, ने राजस्थान में अपने गाँव बोरुंदा और उसके आसपास से लोक कहानियाँ एकत्र करने में कई दशक बिताए। उनकी कहानियों में मिथक और किंवदंतियाँ, वास्तविकता और कल्पना, अवलोकन और उनके प्रिय राजस्थान पर एक टिप्पणी शामिल है।


 उनके काम को राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय प्रशंसा मिली - उन्हें कई अन्य पुरस्कारों के अलावा पद्म श्री, राजस्थान रत्न पुरस्कार और साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया।


Beta Kiska? - Vijaydan Detha 


Translation: Kailash Kabir बेटा किसका ? - विजयदान देथा अनुवाद - कैलाश कबीर



Many of his stories and novels have been adapted for the stage and the
screen including Mani Kaul's Duvidha (1973), Habib Tanvir and Shyam
Benegal's Charandas Chor (1975), Prakash Jha's Parinati (1986), Amol
Palekar's Paheli (2005), Pushpendra Singh's The Honour Keeper (2014),
Dedipya Joshii's Kaanchli Life in a Slough(2020), Pushpendra Singh's
Laila aur Satt Geet (2020)
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जीवन परिचय
लोक कथाओं एवं कहावतों का अद्भुत संकलन करने वाले पद्मश्री विजयदान देथा की कर्मस्थली उनका पैथृक गांव बोरुंदा दा ही रहा तथा एक छोटे से गांव में बैठकर अन्तर्राष्ट्रीय स्तर के साहित्य का सृजन किया। राजस्थानी लोक
संस्कृति की प्रमुख संरक्षक संस्था रूपायन संस्थान (जोधपुर) के सचिव देथा
का जन्म 1 सितंबर 1926 को बोरूंदा में हुआ। प्रारम्भ में 1953 से 1955 तक बिज्जी ने हिन्दी मासिक प्रेरणा का सम्पादन किया। बाद में हिन्दी त्रैमासिक
रूपम, राजस्थानी शोध पत्रिका परम्परा, लोकगीत, गोरा हट जा, राजस्थान के प्रचलित प्रेमाख्यान का विवेचन, जैठवै रा सोहठा और कोमल कोठारी के साथ संयुक्त रूप से वाणी और लोक संस्कृति का सम्पादन किया। विजयदान देथा की लिखी कहानियों पर दो दर्जन से ज़्यादा फ़िल्में बन चुकी हैं, जिनमें मणि कौल द्वारा निर्देशित 'दुविधा' पर अनेक राष्ट्रीय और अन्तर्राष्ट्रीय
पुरस्कार मिल चुके हैं। इसके अलावा वर्ष 1986 में उनकी कथा पर चर्चित
फ़िल्म निर्माता-निर्देशक प्रकाश झा द्वारा निर्देशित फिल्म परिणीति काफ़ी
प्रभावित हुई है। राजस्थान साहित्य अकादमी 1972-73 में उन्हें विशिष्ट
साहित्यकार के रूप में सम्मानित कर चुकी है।[1]'दुविधा' पर आधारित हिंदी
फिल्म 'पहेली' में अभिनेता शाहरुख खान और रानी मुखर्जी मुख्य भूमिकाओं में थे। यह उनकी किसी रचना पर बनी अंतिम फिल्म है।[2] रंगकर्मी हबीब तनवीर ने विजयदान देथा की लोकप्रिय कहानी 'चरणदास चोर' को नाटक का स्वरूप प्रदान किया था और श्याम बेनेगल ने इस पर एक फिल्म भी बनाई थी।

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Bhandari.

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